लखनऊ: गोमती नदी के किनारे एकांत में खड़ा मूसा बाग क़िला जो आज खंडहर में तब्दील हो चुका है इसका निर्माण साल 1803 से 1804 के दौरान आजमुद्दौला ने अवध के नवाब सआदत अली ख़ान के लिए करवाया था लेकिन अपनी तामीर के महज 53 साल बाद ही इस क़िला के इम्तिहान की घड़ी भी आ गई आजादी की पहली लड़ाई के दौरान इस महल की इमारत को अंग्रेजों ने गोला-बारूद से ध्वस्त कर डाला दरअसल इस महल को गोला-बारूद के गोदाम के तौर पर भी आंदोलनकरियों ने इस्तेमाल किया था लेकिन आज भी मूसा बाग क़िला की दरो-दीवारें बयां करतीं हैं अपनी दिलेरी की दास्तां इस बेजोड़ इमारत की बुलंदी को वक्त और हालात भी इस के नामों निशां को अब तक नहीं मिटा पाए ! जंग-ए-आजादी के बेशुमार जख्मों के साथ यह मूसा बाग का क़िला आज भी सीना तान कर खड़ा है।
ज्ञात रहे कि अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बगावत के दौरान लखनऊ के अलग अलग हिस्सों में आंदोलनकारियों और अंग्रेजों के दरमियान भीषण लड़ाई हुई थी अंग्रेजों ने गोला-बारूद के साथ इस मूसा बाग के किला पर जबरदस्त हमला किया और इसे ज़मींदोज़ कर दिया बावजूद इसके इस महल की आन-बान-शान आज भी बाक़ी है प्रसिद्ध इतिहासकार योगेश प्रवीण कहते हैं कि मूसाबाग के नामकरण के पीछे कई कहानियाँ प्रचलित हैं लेकिन वे सही नहीं हैं कोई कहता है कि इसका नाम हजरत मूसा के नाम पर पड़ा तो कोई कहता है कि किसी के घोड़े की टाप के नीचे आकर चूहा मूषक मर गया था और इसीलिए नाम मूसाबाग पड़ गया।दरअसल इस क़िला का निर्माण फ्रेंच आर्किटेक्ट क्लाउड मार्टिन के मार्गदर्शन में कराया गया यहाँ लखनऊ के लामार्ट कॉलेज की बिल्डिंग कांस्टेंशिया और छतर मंजिल की वास्तुकला से प्रभावित होकर इस क़िला का निर्माण कराया गया इतिहासकार बताते हैं कि इस महल की सब से बड़ी खूबी इसके अंदर मौजूद तहखाना है कहते हैं कि तहखाने के अंदर किसी जमाने में खजाने का भंडार हुआ करता था यही नहीं उस जमाने में गर्मी के मौसम में इस तहखाने का इस्तेमाल ठंडक हासिल करने के लिए भी किया जाता था मूसा बाग का यह क़िला लखनऊ की गोमती नदी के किनारे स्थित है गोमती नदी उत्तर प्रदेश की एक प्रमुख नदी है जो हिमालय से निकलकर लखनऊ से होकर गुजरती है और अंत में गंगा नदी में मिल जाती है इतिहासकार प्रवीण बताते हैं कि किसी जमाने में इस महल कीचहारदीवारी भी थी यह कमाल की थी इसका मुख्य द्वार तो देखते ही बनता था फाटक के दोनों सिरों पर दो सितारों के आकार में झरोखे कटे थे ये सितारे ही चार चांद लगाते थे महल के चारों ओर खूबसूरत बाग-बगीचे थे नवाब अपने विदेशी मेहमानों का दिल बहलाने के लिए उन्हें यहां लेकर आते थे क़िला के पिछले हिस्से में एक मज़ार है कहा जाता है कि यह सिगरेट वाले बाबा की मजार है धूम्रपान सेहत के लिए खतरनाक है शायद यही संदेश देने के लिए लोग इस मजार पर अगरबत्ती धूप के अलावा सिगरेट भी चढ़ाते हैं कैप्टन बाबा या सिगरेट वाले बाबा की यह मजार मूसा बाग महल से ठीक पीछे है आजादी की लड़ाई के दौरान अंग्रेज कैप्टन वेल्स मार दिए गए कहा जाता है कि यह मजार कैप्टन वेल्स की है आज भी लोग वहां मन्नतें मांगने आते हैं