One Nation One Election: वन नेशन वन इलेक्शन पर गठित सात सदस्यीय समिति जल्द ही केंद्र सरकार को रिपोर्ट सौंप सकती है। इसमें एक राष्ट्र एक चुनाव पर सरकार के विचार का समर्थन किया जा सकता है। इस समिति की अध्यक्षता पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि रिपोर्ट को अंतिम रूप दे दिया गया है।
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में संशोधन की हो सकती है सिफारिश
रिपोर्ट में 2029 तक लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के लिए संविधान और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम में संशोधन की सिफारिश की जा सकती है। इसमें त्रिशंकु सदन, अविश्वास प्रस्ताव आने के बाद सरकार गिरने या दल बदल के कारण सरकार के अल्पमत में आने जैसी स्थितियों के लिए भी विशेष उपाय शामिल किए जाएंगे।
पहले भी एक साथ हुए थे चुनाव
बता दें कि 1967 तक लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ होते थे, लेकिन इसके बाद राज्यों में गठबंधन की सरकारें गिरने और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के निर्धारित समय से पहले 1971 में लोकसभा चुनाव कराने के फैसले से यह क्रम टूट गया। अब एक साथ चुनाव कराने के केंद्र के विचार का कांग्रेस, माकपा, भाकपा, डीएमके और टीएमसी समेत कई विपक्षी दलों ने विरोध किया है। हालांकि, बीजेपी ने इसका लगातार समर्थन किया है।
एक साथ चुनाव कराने के पक्ष में पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वन नेशन वन इलेक्शन यानी एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने का समर्थन किया है। उनका कहना है कि बार-बार चुनाव कराने से विकास कार्य प्रभावित होता है। अगर एक साथ चुनाव कराया जाए तो इससे सरकार का पैसा बचेगा।
सात सदस्यीय कमेटी में कौन-कौन है शामिल?
सात सदस्यीय कमेटी में राम नाथ कोविंद के अलावा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, राज्यसभा में विपक्ष के नेता रहे गुलाम नबी आजाद, 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष रहे एनके सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष कश्यप, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और पूर्व केंद्रीय सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी शामिल हैं। वहीं, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल विशेष आमंत्रित सदस्य हैं।