Mainpuri Lok Sabha Election 1957: क्या कभी ऐसा होता है कि चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार को खुद का भी वोट न मिले? जी हां, ऐसा दूसरे लोकसभा चुनाव के दौरान यूपी की एक सीट पर हुआ था। उम्मीदवार का खुद का वोट अमान्य करार दे दिया गया था।
Mainpuri Lok Sabha Election 1957: आपने यह तो जरूर सुना होगा कि चुनाव में उम्मीदवार की जमानत जब्त हो गई, लेकिन क्या कभी ऐसा हुआ है कि उम्मीदवार को एक भी वोट न मिले। उसका खुद का वोट भी इनवैलिड करार दे दिया जाए, लेकिन ऐसा मामला उत्तर प्रदेश में दूसरे लोकसभा चुनाव के दौरान सामने आया था। यह पूरा मामला क्या है, आइए इस पर विस्तार से नजर डालते हैं…
किस उम्मीदवार को नहीं मिला खुद का भी वोट?
दरअसल, बात 1957 के लोकसभा चुनाव की है। यूपी की मैनपुरी सीट से शंकर लाल ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा, लेकिन जब परिणाम आए तो वे चौंकाने वाले थे। शंकर लाल को एक भी वोट नही मिले। यहां तकि उनका वोट भी काउंटिंग के दौरान अमान्य करार दे दिया गया।
प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार की हुई जीत
चुनाव आयोग के मुताबिक, मैनपुरी से कुल छह उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे। इसमें प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के बंसी दास धनगर, कांग्रेस के बादशाह, अखिल भारतीय जनसंघ के जगदीश सिंह और दो निर्दलीय उम्मीदवार मनी राम और पुत्तू सिंह शामिल हैं। इस चुनाव में जीत बंसी दास धनगर की हुई। उन्हें 59,902 यानी 30.45 प्रतिशत वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस के बादशाह को 56073 यानी 28.50 प्रतिशत वोट मिले।
1 लाख 96 हजार मतदाताओं ने डाले वोट
अन्य उम्मीदवारों की बात करें तो जनसंघ के जगदीश सिंह को 46,627 यानी 23.70 प्रतिशत, निर्दलीय उम्मीदवारों मनी राम को 17,972 यानी 9.13 प्रतिशत और पुत्तू सिंह को 16,177 यानी 8.22 प्रतिशत वोट मिले। चुनाव आयोग के मुताबिक, मैनपुरी में 1957 में कुल 3,93,180 मतदाता पंजीकृत थे, जिनमें से कुल 1,96,750 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था।
2019 का चुनाव परिणाम
मैनपुरी में 2019 में मुलायम सिंह यादव जीत दर्ज कर लोकसभा पहुंचे थे। हालांकि, उनके निधन के बाद 2022 में हुए उपचुनाव में यहां से सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव ने जीत दर्ज की। मैनपुरी को सपा का गढ़ कहा जाता है। इस बार भी डिंपल यहां से चुनावी मैदान में हैं।