Parliament Session 2024: 18वीं लोकसभा के स्पीकर का चुनाव मतदान के जरिए होगा। बुधवार को सुबह 11 बजे मतदान के जरिए यह तय हो जाएगा कि लोकसभा स्पीकर कौन होगा? कांग्रेस ने केरल के सांसद के. सुरेश को स्पीकर पद के लिए प्रत्याशी बनाया है।
Lok Sabha Speaker Election: देश के संसदीय इतिहास में पहली बार लोकसभा में स्पीकर पद के लिए चुनाव होने जा रहा है। एनडीए ने लोकसभा स्पीकर के लिए ओम बिड़ला को प्रत्याशी बनाया है जबकि इंडिया के सुरेश को अपना प्रत्याशी बनाया है। के. सुरेश लगातार 8वीं चुनाव जीतकर संसद पहुंचे हैं। इससे पहले कहा जा रहा था कि इंडिया और एनडीए के बीच स्पीकर और डिप्टी स्पीकर के पद को लेकर आम सहमति बन गई है। इस बीच संसद में आज राहुल गांधी और अखिलेश यादव समेत 281 सांसद बतौर सदस्प शपथ लेंगे। ऐसे में आइये जानते हैं कौन हैं के. सुरेश जिनको कांग्रेस ने लोकसभा स्पीकर के लिए प्रत्याशी बनाया है।
लोकसभा स्पीकर के लिए बुधवार को 11 बजे मतदान होगा। हालांकि एनडीए प्रत्याशी ओम बिड़ला की जीत तय मानी जा रही है। इंडिया ने आठ बार के सांसद के. सुरेश को प्रत्याशी बनाया है। के. सुरेश केरल में कांग्रेस के बड़े दलित चेहरे हैं। उन्होंने केरल के मावेलिक्कारा सीट से आठवीं बार जीत दर्ज की है। इससे पहले उन्होंने तीन बार इस सीट से और 4 बार अदूर निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए।
बता दें कि के. सुरेश पहली बार 1989 में लोकसभा के लिए चुने गए और 2009 में मावेलिक्कारा सीट पर लगातार जीत दर्ज कर रहे हैं। 2009 में वे मनमोहन सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं। बता दें कि इस चुनाव में के. सुरेश ने सीपीआईएम प्रत्याशी अरुण कुमार को 10 हजार मतों से पराजित किया। इससे पहले उन्हें प्रोटेम स्पीकर बनाने की बात भी की जा रही थी। क्योंकि वे 18वीं लोकसभा में सबसे अनुभवी सांसद हैं। ऐसे में अब सबसे अनुभवी और दलित चेहरे को आधार बनाकर कांग्रेस ने उनको स्पीकर पद के लिए मैदान में उतारा है।
हाईकोर्ट ने घोषित किया था अयोग्य
इस बार के चुनाव में केरल हाईकोर्ट ने उन्हें चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया था। सीपीआई के नेता आरएस अनिल ने कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि सुरेश ओबीसी चेरामाई ईसाई समुदाय से हैं न कि हिंदू समुदाय से जो कि अनुसूचित जाति से हैं। ऐसे में वे मावेलिक्कारा सीट से चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य है। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया।