Kalki Dham Features Sambhal Uttar Pradesh: संभल का कल्कि धाम राम मंदिर अयोध्या की तरह ही भव्य और शानदार होगा, लेकिन कई मायनों में यह राम मंदिर से अलग भी है। वहीं इस मंदिर के दुनिया का सबसे अनोखा मंदिर होने के दावा किया गया है, जिसे अगले 5 साल में बनकर देश को समर्पित कर दिया जाएगा।
Kalki Dham Sambhal Uttar Pradesh Features: अयोध्या के राम मंदिर के बाद उत्तर प्रदेश के संभल में भगवान विष्णु को समर्पित कल्कि धाम बनने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस धाम का 19 फरवरी 2024 को शिलान्यास किया। श्री कल्कि धाम निर्माण ट्रस्ट द्वारा मंदिर का निर्माण किया जाएगा। अगले 5 साल में इस मंदिर को बनाकर देश को समर्पित करने का टारगेट है। ट्रस्ट के अध्यक्ष और मंदिर के पीठाधीश आचार्य प्रमोद कृष्णम हैं।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कल्कि धाम दुनिया का पहला ऐसा मंदिर होगा, जहां भगवान विष्णु के अंतिम अवतार लेने से पहले उनकी मूर्ति स्थापित हो जाएगी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, 4 लाख 32 हजार सालों का कलयुग होता है, जिसका पहला चरण चल रहा है। कलयुग के आखिरी चरण में भगवान विष्णु कल्कि के रूप में अवतार लेंगे। इसलिए 18 साल पहले आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कल्कि धाम बनाने का संकल्प लिया, जो अब पूरा होने जा रहा है।
कब-कैसे लेंगे भगवान कल्कि अवतार?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पौराणिक धर्मग्रंथों में वर्णित है कि कल्कि पीठ में एक गुमटी है, जो जाली से ढकी हुई है। इस गुमटी में पीले संगमरमर से बनी घोड़े की प्रतिमा है। इसी घोड़े पर भगवान कल्कि सवार होंगे। इस घोड़े के 3 पैर जमीन पर लगे हैं। एक पैर ऊपर उठा हुआ है, जिसमें घाव है और यह धीरे-धीरे नीचे जा रहा है। जिस दिन यह घाव भर जाएगा और पैरा पूरा नीचे आ जाएगा, उस दिन भगवान विष्णु भगवान कल्कि के रूप में अवतार ले लेंगे।
कल्कि धाम की खासियतें…
- मंदिर 5 एकड़ में बनेगा, जबकि राम मंदिर अयोध्या ढाई एकड़ में बना है।
- धाम का शिखर 108 फीट ऊंचा है। 11 फीट ऊपर मंदिर का चबूतरा बनेगा।
- 10 गर्भगृह होंगे, जो भगवान विष्णु के सभी 10 अवतारों को समर्पित होंगे।
- सोमनाथ मंदिर, राम मंदिर में इस्तेमाल गुलाबी पत्थरों से कल्कि धाम बनेगा।
- राम मंदिर अयोध्या की तरह इसमें भी स्टील या लोहे का इस्तेमाल नहीं होगा।
कैसी होगी भगवान कल्कि की प्रतिमा?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कल्कि धाम के अंदर रामलला की तरह भगवान कल्कि की खूबसूरत प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। वहीं धर्मग्रंथों के अनुसार, भगवान कल्कि को अवतार लेते समय भगवान शिव देवदत्त नाम का श्वेत अश्व प्रदान करेंगे। भगवान परशुराम फरसा देंगे और भगवान बृहस्पति शिक्षा दीक्षा देंगे। इन तीनों वरदानों को ध्यान में रखकर भगवान कल्कि की प्रतिमा का निर्माण कराया जाएगा। कल्कि अवतार लेते ही सतयुग आरंभ हो जाएगा।