Cyprus Egypt 1978 Battle History: 46 साल पहले आज ही के दिन आतंकियों के कारण 2 देश आपस में भिड़ गए थे। दोनों की सेनाओं के बीच एयरपोर्ट पर टकराव हुआ था, जिसमें 15 कमांडो मारे गए थे। हालांकि आतंकियों ने सरेंडर कर दिया था, लेकिन उनके कारण 2 देश दुश्मन बन गए थे। जानिए क्या हुआ था 19 फरवरी 1978 को?
Egypt Army Attack On Larnaca International Airport Cyprus: 2 आतंकियों ने मिस्त्र के अखबार के संपादक युसुफ सिबाई की हत्या कर दी। साइप्रस में सम्मेलन में भाग लेने आए लोगों को बंधक बना लिया। जैसे ही युसुफ के मर्डर और लोगों को बंधक बनाए जाने की खबर मिस्त्र पहुंची, बचाव अभियान शुरू किया गया। मिस्त्र के 15 कमांडो और एयर क्राफ्ट मिशन पर निकल गए, लेकिन गलती यह हो गई कि मिस्त्र में घुसकर आतंकियों पर हमला करने के लिए उन्होंने साइप्रस की परमिशन नहीं ली।
साइप्रस को लगा कि मिस्त्र की आर्मी ने सर्जिकल स्ट्राइक की है तो देश ने मिस्त्र के कमांडो पर फायरिंग कर दी, जिसमें सभी कमांडो मारे गए। मिस्त्र के एयरक्राफ्ट को भी निशाना बनाया। इस एक्शन और जवाबी कार्रवाई के कारण दोनों देश दुश्मन बन गए। वहीं जिनके कारण दोनों देशों की सेनाओं का टकराव हुआ, उन आतंकियों ने सरेंडर कर दिया, लेकिन उनके कारण मिस्त्र और साइप्रस में दुश्मनी हो गई। घटना 19 फरवरी 1978 की है।
साइप्रस के लारनाका इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर हुआ था हमला
इतिहास शास्त्रों के अनुसार, 18 फरवरी 1978 की रात को मिस्र के प्रमुख समाचार पत्र के संपादक और मिस्र के राष्ट्रपति अनवर सादात के मित्र यूसुफ सिबाई साइप्रस में थे। यहां निकोसिया हिल्टन में हुए एक सम्मेलन में वे हिस्सा लेने आए थे, लेकिन 2 आतंकियों ने गोलियां मारकर उनकी हत्या कर दी। साथ ही 16 प्रतिनिधियों को बंधक बना लिया, जिमसें 2 PLO प्रतिनिधि थे और एक मिस्र का नागरिक था।
आतंकियों ने साइप्रस की सेना को बंधकों को मारने का डर दिखाकर जहाज मांगा। मजबूरन साइप्रस की सेना को लारनाका अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर एयरवेज डगलस DC-8 विमान पहुंचाना पड़ा। दोनों आतंकी 11 बंधकों और 4 क्रू मेंबर्स को लेकर निकल गए, लेकिन विमान को जिबूती, सीरिया और सऊदी अरब में उतरने की अनुमति नहीं मिली तो मजबूरन आतंकियों को जहाज साइप्रस में लैंड करना पड़ा।
यासिर अराफात और अनवर सआदत ने ऑफर की थी मदद
बंधक बनाए गए लोगों में PLO नेता यासिर अराफात का एक सहयोगी भी था तो उसने साइप्रस के राष्ट्रपति स्पाइरोस किप्रियनौ को फोन किया। उन्होंने 17 कमांडो भेजने का ऑफर दिया, जिन्हें लेने के लिए किप्रियनौ ने बेरूत में एक विमान भेजा। दूसरी ओर अपने दोस्त की मौत से दुखी मिस्त्र के राष्ट्रपति अनवर सआदत ने भी साइप्रस के राष्ट्रपति किप्रियनौ को फोन करके बंधकों को छुड़ाने और आतंकवादियों को काहिरा में प्रत्यर्पित करने की गुहार लगाई।
सआदत ने कमांडो यूनिट से टास्क फोर्स 777 को सी-130 हरक्यूलिस एयरक्राफ्ट में साइप्रस के लिए रवाना कर दिया, लेकिन साइप्रस के राष्ट्रपति को इसकी जानकारी नहीं दी। इसके चलते लरनाका एयरपोर्ट पर मिस्त्र के कमांडो और साइप्रस की सेना के बीच टकराव हो गया। गोलीबारी में मिस्त्र के सभी 15 कमांडो मारे गए। एयरक्राफ्ट पर मिसाइल दागी गई।
साइप्रस ने सुलह के प्रयास किए, लेकिन मिस्त्र नहीं माना
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जब मिस्त्र और साइप्रस की सेना में टकराव हो रहा था, तब राष्ट्रपति किप्रियनौ आतंकियों को सरेंडर करने के लिए मना चुके थे। साइप्रस की सेना ने आतंकियों को दबोच लिया और बंधकों को छुड़ा लिया। दोनों आतंकियों को साइप्रस ने मिस्र में प्रत्यर्पित कर दिया, जहां उन्हें मौत की सजा मिली, जिसे बाद में आजीवन कारावास की सज़ा में बदल दिया गया।
20 फरवरी को मिस्र ने अपने राजनयिक को साइप्रस से वापस बुला लिया। साइप्रस से अपने राजनीतिक संबंध तोड़ दिए। साइप्रस के राष्ट्रपति किप्रियनौ ने मिस्त्र से सुलह करने की कोशिश की और माफ़ी की मांगी, लेकिन मिस्त्र नहीं माना। सीरिया और लीबिया जैसे अन्य अरब देशों ने मिस्र की कार्रवाई की निंदा की। 1981 में मिस्त्र के राष्ट्रपति अनवर सआदत की हत्या हो गई, लेकिन आज तक भी दोनों देशों के संबंध सामान्य नहीं हुए हैं।