महायुति से वर्तमान विधायक ने अपक्ष से ठोकी ताल ! महायुति और महा विकास आघाड़ी समेत दर्जनों उम्मीदवार मैदान में इस बार यहां सेक्युलर और मुस्लिम मतदाताओं में दिख रहा है जबरदस्त बिखराव !
मुंबई: (संवाददाता) मीरा भयंदर विधानसभा चुनाव इस बार और अधिक दिलचस्प होता दिख रहा है 2019 के विधानसभा चुनाव में इस अमन पसंद शहर के लोगों ने भाजपा और कांग्रेस के कद्दावर नेताओं के अहंकार को पस्त करते हुए एक निर्दल महिला उम्मीदवार गीता जैन को शहर का विधायक बना डाला था
लेकिन इस बार शहर के सियासी फिजा बदल चुकी है वर्तमान विधायक गीता जैन ने जीत के बाद शिवसेना शिंदे गुट का दामन थाम लिया है और बीते पांच सालों में उन्होंने सांप्रदायिक राजनीति की ऐसी मिसाल कायम की जिसे बुलाया नहीं जा सकता फिलहाल टिकट कट जाने से अब वह एक बार फिर निर्दल उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं महायुति ने अपने पूर्व विधायक नरेंद्र मेहता पर अपना भरोसा जताते हुए उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया है वहीं महा विकास आघाड़ी ने सीनियर कांग्रेसी लीडर मुजफ्फर हुसैन को अपना उम्मीदवार बनाया है इस प्रकार से एक बार फिर शहर में त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना जताई जा रही है 2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी लीडर नरेंद्र मेहता ने 91468 वोट लेकर पहली बार शहर में अपनी जीत का परचम फहराया था और तभी से विरोधी भी नरेंद्र मेहता की ताकत का लोहा मानते हैं लेकिन 2019 के विधानसभा चुनाव में कुछ ऐसा उठा पटक हुआ कि इस अमन पसंद शहर की आवाम ने नरेंद्र मेहता को दूसरे पायदान पर ला खड़ा किया और एक निर्दल महिला उम्मीदवार गीता जैन को 79575 वोटो से इस शहर का विधायक बना डाला बीजेपी उम्मीदवार नरेंद्र मेहता को इस चुनाव में महज़ 64049 वोटो से तसल्ली करनी पड़ी जबकि कांग्रेस के लाडले नेता मुजफ्फर हुसैन 55939 वोट हासिल कर तीसरे पायदान पर बने रहे 2019 के चुनाव में दिलचस्प बात यह रही कि शहर वासियों ने कांग्रेस और भाजपा के दोनों ही पार्टियों के कद्दावर नेताओं से दूरी बनाते हुए एक निर्दल महिला उम्मीदवार गीता जैन को विजयी बनाया सेक्युलर और मुस्लिम मतदाताओं ने भी जैन के पक्ष में बढ़-चढ़कर वोटिंग की लेकिन जीत के बाद गीता जैन ने शिव सेना शिंदे गुट का दामन थाम लिया और बीते 5 सालों में ऐसी सांप्रदायिक राजनीति की जिससे खास कर यहां के सेक्युलर और मुस्लिम मतदाताओं को गहरी चोट पहुंची वर्तमान विधायक गीता जैन को नियति ने एक बार फिर निर्दल उम्मीदवार के तौर पर मैदान में ला खड़ा किया है महायुति से भाजपा नेता नरेंद्र मेहता उम्मीदवार हैं मेहता की छवि कुल मिलाकर अच्छी मानी जाती है जानकारों का मानना है कि इस बार नरेंद्र मेहता को सेक्युलर और मुस्लिम मतदाताओं का भी ठीक-ठाक वोट मिल सकता है जिससे इस शहर की पथरीली जमीन पर एक बार फिर कमल का फूल खिलने के आसार लगाए जा रहे हैं महा विकास आघाड़ी ने यहां से कांग्रेस के लाडले नेता मुजफ्फर हुसैन को अपना उम्मीदवार बनाया है हुसैन के लिए यह चुनाव एक सुनहरे अवसर के तौर पर भी देखा जा रहा है राजनीति के जानकारों का मानना है कि दो दिग्गजों की लड़ाई में हुसैन का रास्ता काफी आसान हो जाता है
महा विकास आघाड़ी यानी शिवसेना ठाकरे गुट एनसीपी शरद पवार गुट और खुद कांग्रेस का यह मीरा भयंदर शहर पुराना गढ़ रहा है मीरा भयंदर शहर में इन तीनों ही पार्टियों की जड़ें बहुत मजबूत हैं जिस वजह से हुसैन के लिए यह चुनाव एक बेहतरीन अवसर के तौर पर देखा जा रहा है लेकिन कांग्रेस के लाडले नेता मुजफ्फर हुसैन की छवि ख़ुद उनके समाज में ही अच्छी नहीं मानी जाती जानकारों की मानें तो मुसलमानों के धार्मिक कार्यक्रमों में निमंत्रण पर मुंह नाक बनाने वाले हुसैन अन्य समाज के धार्मिक कार्यक्रमों में सदैव ही बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं लोगों का ऐसा भी मानना है कि जल्दी किसी को भी खातिर में ना लाना, किसी को भी उचित सम्मान ना देना लोगों को महत्वहीन समझना हुसैन की खास आदतों में शामिल है। ध्यान रहे की मीरा भयंदर की आबादी में मुसलमान का फीसद 16.28 है लेकिन इस शहर के मुसलमान में मुजफ्फर हुसैन की इमेज भी जग जाहिर है
हुसैन के साथ दशकों से पार्टी में काम करने वाले उनके भरोसेमंद साथी नासिर शेख़ और सैयद निगार आलम ने अभी हाल ही में शिवसेना शिंदे गुट का दामन थाम लिया है इसके अलावा हुसैन के खास समझे जाने वाले जाहिद काज़ी ने तो भाजपा के कमल को ही गले लगा लिया है ऐसी स्थिति में फिलहाल हुसैन के लिए यहां की जमीन पथरीली सबित होने का आसार हैं