Research On Umbilical Cord: नवजातों की मृत्यु दर को कम किया जा सकता है, अगर गर्भनाल तुरंत न काटी जाए। यह खुलासा एक मेडिकल रिसर्च में हुआ है, जानिए इसके बारे में…
Medical Research Based On Umbilical Cord: पैदा होते ही सबसे पहले नवजात की गर्भनाल काटी जाती है, जबकि यह तुरंत नहीं काटनी चाहिए। कम से कम 2 मिनट का इंतजार करना चाहिए। यह कहना है ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्रीय स्वास्थ्य और चिकित्सा अनुसंधान परिषद (NHMRC) की 2 मेडिकल रिसर्चर्स डॉ. अन्ना लेने सीडलर और प्रोफेसर लिसा एस्की का, जिन्होंने गर्भनाल को लेकर एक शोध किया और अपनी रिपोर्ट में इससे जुड़े कई खुलासे किए। डॉ. अन्ना लेने सीडलर कहती हैं कि हर साल पूरी दुनिया में करीब 1.3 करोड़ बच्चे समय से पहले पैदा होते हैं, लेकिन जन्म के कुछ समय बाद ही करीब 10 लाख बच्चे मर जाते हैं। इस दर को कम किया जा सकता है, अगर गर्भनाल तुरंत न काटी जाए। बता दें कि यह रिसर्च रिपोर्ट द लांसेट में प्रकाशित की गई है।
नाल देरी से काटने पर रेड ब्लड सेल्स बढ़ते
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गर्भनाल काटने में देरी करने से नवजातों की जान बचाने में मदद मिलती है। नवजातों की मृत्यु दर कम की जा सकती है। इससे बच्चे के शरीर में खून बढ़ता है। ब्लड प्लेटेलेट्स में आयरन बढ़ता है। गर्भनाल देरी से कटने से नवजात के शरीर में रेड ब्लड सेल्स 60 फीसदी बढ़ जाते हैं। वॉल्यूम में 30 फीसदी का इजाफा होता है। रिपोर्ट के अनुसार, डॉ. सीडलर और उनकी टीम ने करीब 9 हजार से अधिक बच्चों के 60 क्लिनिकल टेस्ट किए। इसमें जो डाटा सामने आया, उन पर रिसर्च करने से रिजल्ट मिला कि उन बच्चों की जान को खतरा एक तिहाई कम हो गया, जिनकी गर्भनाल जन्म के 30 सेकेंड बाद या उससे अधिक समय के बाद काटी गई।
गर्भनाल से बच्चा गर्भ के अंदर जीवित रहता
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रोफेसर लिसा एस्की और उनकी टीम ने 6094 बच्चों के 47 क्लिनिकल टेस्ट कराकर उनका डाटा कलेक्ट किया। इस रिसर्च में परिणाम सामने आया कि गर्भनाल को कम से कम 2 मिनट के इंतजार के बाद काटना चाहिए। ऐसा करने से नवजात मृत्यु दर न सिर्फ कम होगी, बल्कि जन्म के तुरंत बाद मृत्यु रोकी जा सकती है। इसकी संभावना 91 प्रतिशत बढ़ जाती है। बता दें कि गर्भनाल महिला के शरीर का अभिन्न अंग होती है, जो गर्भावस्था के दौरान बच्चे को सुरक्षा और पोषण देती है। इससे बच्चा गर्भ में जीवित रहता है। उसे खाना मिलता है। गर्भनाल का एक सिरा गर्भा से और दूसरा नवजात की नाभि से जुड़ा होता।
आजकल लोग संभाल कर रखते गर्भनाल
नवजात के कुल वजन का छठा हिस्सा गर्भनाल का होता है। यह बच्चे को संक्रमण से दूर रखती है। गर्भनाल शरीर में लैक्टोजन बनाती है, जिससे मां के शरीर में दूध बनता है। गर्भनाल मां और बच्चे को जोड़ती है। मां जो खाती है, नाल के रास्ते बच्चे को मिलता है। गर्भनाल बच्चे के लिए फिल्टर है। बच्चे के जन्म लेते ही गर्भनाल काट दी जाती है। कुछ दिन बाद नाल खुद ही सूखकर गिर जाती है। आजकल गर्भनाल को संभालकर रखने का ट्रेंड है। इससे बच्चे की अनुवांशिक बीमारियों का पता लगाया जा सकता है। कोई मेडिकल केस हिस्ट्री समझने में मदद मिलती है, ताकि डॉक्टर सटीक इलाज कर सकें।