लेखक मुरली मनोहर श्रीवास्तव की रचना बनी लोगों में चर्चा का विषय
पटनाः बूढ़ा पर वीर बांकुड़ा कुंवर सिंह मर्दाना था, मस्ती की थी छिड़ी रागिनी,आजादी का गाना था, भारत के कोने-कोने में होता यही तराना था बाबू कुंवर सिंह के वीरता की कहानी को यह बयां करती हैं। 1857 का भारतीय विद्रोह, प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, सिपाही विद्रोह और भारतीय विद्रोह के रुप में हम जानते हैं। यह ब्रिटिश शासन के विरुद्ध एक विद्रोह था। वैसे तो रण बांकुरे वीर कुंवर सिंह पर पहली बार लेखक मुरली मनोहर श्रीवास्तव ने “वीर कुंवर सिंह की प्रेमकथा” पुस्तक की रचना की। इस पुस्तक के आने से पहले ही इसकी मांग बढ़ गई है। पटना पुस्तक मेला में “वीर कुंवर सिंह की प्रेमकथा” पुस्तक की मांग युवाओं के बीच देखी जा रही है। इस पुस्तक का मूल मक्सद लेखक का रहा है कि बाबू साहब की वीरता और अपने वतन, मिट्टी से जो प्रेम था उसी को प्रेमकथा के रुप में प्रस्तुत तो किया ही गया है ऊपर से आरा की मशहूर नर्तकी धरमन बीबी जिससे वीर कुंवर सिंह जी को गहरा लगाव था उसको इस पुस्तक में केंद्रित किया गया है। उसी नर्तकी ने बाबू साहब को प्रेरित करने के साथ-साथ नौ माह के युद्ध में लगभग सभी युद्धों में सेनापति बनकर साथ निभाते हुए वीरगति को प्राप्त हुई थीं।
श्री मुरली ने इस पुस्तक की रचना कर एक बेहतर कार्य किया है। इनके पुस्तक लेखन के दौरान ही मुंबई से प्रो.संजना मिश्रा शोध करने के लिए बिहार आयी थीं। उन्होंने कहा था कि जिस प्रकार कुंवर सिंह जी और धरमन बीबी पर आपने काम किया है अबतक काम ही नहीं किया गया है। इस पूरे किताब में हर पहलू को दर्शाने की पूरी कोशिश की गई है, जिसे हर पीढ़ी को जानना बहुत जरुरी है कि वीर कुंवर सिंह 1857 गदर की एक प्रमुख कड़ी थे।
प्रभात प्रकाशन, दिल्ली ने मुरली मनोहर श्रीवास्तव की यह दूसरी पुस्तक प्रकाशित की है। इससे पहले उन्होंने मशहूर पुस्तक शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्लाह खां को लिखा था, इसके लिए इनका नाम इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड 2023 में दर्ज हो चुका है।