Mimicry Row : तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद कल्याण बनर्जी ने गुरुवार को सांसदों के निलंबन को लेकर संसद परिसर में राज्यसभा के चेयरमैन जगदीप धनखड़ की मिमिक्री की थी। इसे लेकर प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ने भी दुख व्यक्त किया है। लेकिन टीएमसी सांसद ने इसे एक कला बताया है।
TMC MP Kalyan Banerjee mimics Rajya Sabha Chairman Jagdeep Dhankhar during a protest with suspended Opposition MPs at the Makar Dwar following the suspension of 92 MPs for the remainder of the ongoing winter session of Parliament, in New Delhi on Tuesday. Congress MP Rahul Gandhi also seen. (ANI Photo/Rahul Singh)
Mimicry Row : देश के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के चेयरमैन जगदीप धनखड़ की नकल उतारने का विवाद बढ़ता जा रहा है। हालांकि, मिमिक्री करने वाले तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी अपनी गलती मानने के लिए तैयार नहीं हैं। बुधवार को बनर्जी ने कहा कि मेरा किसी को ठेस पहुंचाने का इरादा नहीं था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी लोकसभा में मिमिक्री कर चुके हैं।
टीएमसी सांसद ने उपराष्ट्रपति को वरिष्ठ बताते हुए कहा कि मैं उनका बहुत सम्मान करता हूं। पता नहीं क्यों वह इसे अपने ऊपर ले रहे हैं। बनर्जी ने सवाल किया कि अगर वह इसे अपने ऊपर ले रहे हैं तो मेरा सवाल यह है कि क्या वह सच में राज्यसभा में ऐसा ही व्यवहार करते हैं? उन्होंने मिमिक्री को एक तरह की आर्ट बताया और पीएम मोदी का उदाहरण दिया।
बनर्जी ने दावा किया कि खुद प्रधानमंत्री लोकसभा में मिमिक्री कर चुके हैं। लेकिन किसी ने इसको गंभीरता से नहीं लिया था।
‘पीएम और भाजपा हमें नसीहत न दें’
उधर, इस मामले को लेकर कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने भी कहा कि प्रधानमंत्री को याद करना चाहिए कि बंगाल में चुनाव के वक्त कैसे उन्होंने एक महिला मुख्यमंत्री (ममता बनर्जी) का मजाक उड़ाया था। जिनके खुद के घर शीशे के हैं वो हम पर पत्थर फेंकने की कोशिश न करें। भाजपा की सभ्यता हम जानते हैं। पीएम और भाजपा को हमें नसीहत नहीं देनी चाहिए।
राष्ट्रपति की ओर से भी आई प्रतिक्रिया
वहीं, इस मामले को लेकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की प्रतिक्रिया भी आई है। उनके आधिकारिक एक्स हैंडल से की गई एक पोस्ट में कहा गया है कि संसद परिसर में जिस तरह हमारे उप राष्ट्रपति का अपमान हुआ उससे मैं आहत हूं। चयनित प्रतिनिधियों को अपनी बात रखने की स्वतंत्रता होनी चाहिए, लेकिन उनकी अभिव्यक्ति गरिमा और शिष्टाचार के दायरे में होनी चाहिए। यह संसद की परंपरा है जिस पर हमें गर्व है और देश की जनता हमसे उम्मीद करती है कि हम इसे बनाए रखें।