राजस्थान विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के साथ ही पार्टी में मुख्यमंत्री पद के दावेदारों को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। वहीं, इस बीच केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव को अन्य सभी नामों के बीच इस प्रतिष्ठित पद के लिए सबसे मजबूत दावेदार माना जा रहा है। साथ ही राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा है कि सामाजिक समीकरणों को संतुलित करने के लिए प्रदेश में दो डिप्टी सीएम की नियुक्ति की जाएगी।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण समारोह 12 दिसंबर को जयपुर में आयोजित किया जा सकता है। दरअसल, अश्विनी वैष्णव को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री अमित शाह का करीबी माना जाता है। वहीं, सूत्रों के मुताबिक, वैष्णव का प्रबंधन अनुभव अच्छा माना जाता है और वह नौकरशाही और राजनीतिक लॉबी को संतुलित करने के लिए उपयुक्त लगते हैं। साथ ही पार्टी एक ऐसे ब्राह्मण चेहरे की तलाश में है, जो ओबीसी वर्ग में भी फिट बैठता हो।
दावेदारों में कई नाम
वहीं, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी दौड़ में हैं और उनका राजनीतिक प्रभाव भी है, लेकिन पार्टी के पास पहले से ही अन्य राज्यों में राजपूत सीएम हैं। पार्टी में अर्जुन राम मेघवाल का नाम एक बार फिर शीर्ष दावेदारों में है क्योंकि वह मोदी और शाह के चहेते हैं और दलित समुदाय से आते हैं। दरअसल, राजस्थान में करीब 18 फीसदी और देश में 20 फीसदी दलित हैं। पार्टी का किसी भी राज्य में कोई दलित सीएम नहीं है, अगर वह मेघवाल को सीएम बनाती है तो लोकसभा चुनाव में इससे फायदा हो सकता है। साथ ही मेघवाल को प्रशासनिक समझ भी है तथा उनके नाम पर राजस्थान के विधायकों को आपत्ति होने की संभावना कम है।
वहीं, चर्चा में दूसरा नाम ओम माथुर का है जो मोदी की तरह संघ पृष्ठभूमि से आते हैं और उनके करीबी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तब से उनके करीबी रहे हैं जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे। माथुर राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष और छत्तीसगढ़ चुनाव के प्रभारी भी रह चुके हैं। वहां बीजेपी की जीत की संभावना न के बराबर थी, इसलिए इस जीत में उनकी रणनीति काफी अहम मानी जा रही है। दूसरा, माथुर को सीएम बनाने से बीजेपी को मारवाड़ और मेवाड़ के राजनीतिक समीकरणों को संतुलित करने में मदद मिलेगी। तीसरा, वह कायस्थ समुदाय से आते हैं, जिसे राजस्थान में हर जगह स्वीकार किया जाता है।
दावेदारों में किरोड़ी लाल मीणा एक और नेता हैं, जिन्होंने पेपर लीक जैसे मुद्दे पर गहलोत सरकार को घेरा। उन्होंने पेपर लीक और अन्य मुद्दे उठाकर पिछले चार साल से कमजोर पड़ी बीजेपी को सक्रिय कर दिया और गहलोत के लिए मुश्किलें खड़ी कर दीं। जातिगत आधार पर ही देखा जाए तो एससी और एसटी दोनों समुदायों में उन्हें ‘बाबा’ के नाम से जाना जाता है।
चित्तौड़गढ़ के सांसद सीपी जोशी का एक और नाम चर्चा में है क्योंकि उन्हें विधानसभा चुनाव से ठीक पहले प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। जोशी संघ से जुड़े हैं और पहले भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष थे। साथ ही
बाबा बालकनाथ एक और दावेदार हैं, जिनकी तुलना उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से की जा रही है। रोहतक का नाथ मठ हरियाणा, राजस्थान और आसपास के इलाकों में प्रभावशाली माना जाता है। हिंदुत्व कार्ड में फिट बैठता है और बीजेपी के लिए ध्रुवीकरण आसान हो जाएगा।
वहीं, अन्य मजबूत दावेदारों में से एक दीया कुमारी हैं क्योंकि वह केंद्रीय नेतृत्व की करीबी हैं। दूसरा, उन्हें वसुंधरा राजे की जगह एक विकल्प बताया जा सकता है। तीसरा, अगर बीजेपी महिला कार्ड खेलती है तो इससे पार्टी को फायदा होगा। दरअसल, केंद्र सरकार महिला आरक्षण विधेयक लेकर आई और दीया कुमारी की नियुक्ति से यह संदेश जाएगा कि पार्टी महिलाओं को महत्व देती है।