US Airways Flight 1549 Hudson River Crash: ऊपर भी मौत, नीचे भी मौत, लेकिन 155 लोगों की जिम्मेदारी थी, इसलिए पायलट ने नदी में ही लैंडिंग करा दी।
America Hudson River Plane Crash Anniversary: 3000 फीट की ऊंचाई थी। प्लेन के दोनों इंजन बंद हो चुके थे। ठीक नीचे पानी से लबालब गहरी नदी थी। ऊपर भी मौत और नीचे भी मौत देखकर पायलट की सांसें अटक गईं, क्योंकि उसे अपनी परवाह नहीं थी, लेकिन उस पर 155 लोगों की जिम्मेदारी थी। पानी और हवा के बीच 155 जिंदगियां ऐसे फंस थी कि 3 मिनट में कुछ भी हो सकता था।
15 साल पहले 2009 में हुआ था हादसा
अचानक पायलट ने एक फैसला लिया और 3 मिनट के अंदर जहाज की लैंडिंग हडसन नदी में करा दी, लेकिन गनीमत रही कि बचाव दल पहले से ही तैयार था बचाव अभियान के लिए। अगर 35 सेंकेंड की देरी होती तो जहाज हडसन नदी के अंदर समा जाता। सभी 155 लोग मारे जाते, लेकिन क्योंकि लोगों ने जहाज को तेजी से नीचे नदी में गिरते देखा था तो पुलिस को सूचित कर दिया था। आज से 15 साल पहले 15 जनवरी 2009 की दोपहर को हुए इस हादसे के सभी 155 पीड़ितों को बचा लिया था। पायलट की सूझबूझ ने उनकी जिंदगी बचा ली थी।
हादसे का कारण थे गीज पक्षी
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, US एयरवेज़ की फ्लाइट 1549 ने 15 जनवरी 2009 की दोपहर 3:24 बजे लोगार्डिया से शेर्लोट के लिए उड़ान भरी। 66 टन वज़नी जहाज में कंबाइंड थर्स्ट वाले 2 इंजन थे। क्रू मेंबर्स और 155 यात्री सवार थे। न्यूयॉर्क शहर के उत्तर में जाते हुए जहाज को पश्चिम में शार्लोट की तरफ मुड़ना थ, जिसमें करीब 2 घंटे लगते। 250 मील प्रति घंटे की रफ्तार से जहाज ने उड़ान भरी और करीब 50 सेकेंड में ही यह 3200 फीट की ऊंचाई पर पहुंच गया। अचानक जोरदार आवाज आई और पक्षी जहाज के इंजन से टकराया।
न्यूयॉर्क शहर में प्लेन क्रैश होने का खतरा
कैप्टन चेस्ले सलेनबर्गर उर्फ सैली ने पक्षी को जहाज के ऊपर मंडराते देखा। अचानक पक्षी जहाज पर गिरने लगे। कुछ पक्षी प्लेन के दोनों इंजन में घुस गए। पक्षी मारे गए और इंजन से आग की लपटें निकलने लगीं। दोनों इंजनों ने काम करना बंद कर दिया था। आवाजें सुनकर और आग लगने की दुर्गंध से यात्रियों को आग लगने का पता चला। कैप्टन ने एयर ट्रैफिक कंट्रोल को हादसे की जानकारी दी। एयरबस 18 फीट प्रति सेकेंड की रफ्तार से नीचे आने लगा। इससे एयरबस के 3 मिनट के अंदर क्रैश होकर न्यूयॉक शहर में गिरने का खतरा था।
3 मिनट ऊपर और नीचे दोनों तरफ मौत रही
चैस्ले ने BBC को बताया कि इंजन बंद था, जहाज हवा में लटका था। 3000 फीट की ऊंचाई पर थे। प्लेन तेजी से ऊपर जा रहा था और जहाज 3 हजार फीट से ऊपर नहीं जा सकता था, क्रैश होने का खतरा था। किसी भी कीमत पर प्लेन को नीचे उतरना था, लेकिन मौत 3 मिनट के गैप पर थी। 58 साल के सैली की रिटायरमेंट में 7 साल बचे थे। वे US एयरवेज़ में 30 साल से वर्किंग थे, लेकिन 30 साल के अनुभव को 3 मिनट में दिखाने का चैलेंज था। को-पायलट जे जोसेफ एयरबस मैन्युल के हिसाब से इंजन को रि-स्टार्ट करने में जुटे थे।
पानी में लैंडिंग एक बार पहले नाकाम हो चुकी थी
वहीं एयर ट्रैफिक कंट्रोलर पैट्रिक ने लोगार्डिया से सभी उड़ानें रद्द कर दीं, क्योंकि प्लेन 1549 रनवे नंबर 13 लैंडिंग कर रहा था। चैस्ले तैयार थे, कंट्रोलर ने भी परमिशन दे दी थी, लेकिन चैस्ले ने ऐन मौके पर मना कर दिया। जहाज को न्यूजर्सी में टीटरबोरो ले जा सकते थे, लेकिन वह 6 मील दूर था। ऐसे में कैप्टन ने तय किया कि वे जहाज को हडसन नदी में उतारेंगे, लेकिन यह खतरनाक था, क्योंकि 1996 में इथोपियन एयरलाइंस का बोइंग 767 भारतीय महासागर में क्रैश हो गया था और 175 में से 125 लोग मारे गए थे।
900 फीट की ऊंचाई से ब्रिज को पार किया
हडसन नदी अमेरिका के न्यूयॉर्क होते हुए न्यूजर्सी में बहती है। लोग नीचे से प्लेन को धड़ाम से नीचे आते देख रहे थे। ऊपर-नीचे सभी की सांसें अटकी थीं। कैप्टन चेस्ली को टेंशन थी हडसन नदी पर बने 600 फीट ऊंचे जॉर्ज वाशिंगटन ब्रिज की, जिसे चैस्ले ने महज 900 फीट की ऊंचाई से पार किया। लोग प्लेन को गिरते देख चिल्ला रहे थे। 9 सेकेंड के अंदर करीब 3:31 बजे हडसन नदी में जहाज की लैंडिंग हो गई। प्लेन नदी के पानी से थोड़ा ऊपर था। सबसे पहले पिछला हिस्सा पानी से टकराया। इमरजेंसी दरवाजे खेलकर यात्रियों को निकाला।
यात्री नदी में कूद गए और मौके पर बचाव दल नौकाएं लेकर आ गए। 140 दमकल कर्मियों के साथ पुलिस ने सभी 155 लोगों करो बचा लिया। चैस्ले की यह प्लेन लैंडिंग इतिहास में दर्ज हो गई। 3 मिनट के अंदर हुई यह लैंडिंग किसी चमत्कार से कम नहीं थी।