IAS Officer Rinku Singh Rahi: ईमानदारी, साहस और जुनून से भरी है इस अधिकारी की जिंदगी… मौत भी इनके सफर को रोक नहीं पाई। जिस जिले में 15 साल पहले जानलेवा हमला हुआ, अब उसी में फिर से जाने की तैयारी है। यह कहानी के नायक हैं- आईएएस अधिकारी रिंकू सिंह राही।
IAS Rinku Singh Rahi Success Story: उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में आज से 15 साल पहले समाज कल्याण विभाग में तैनात प्रांतीय सिविल सेवा यानी पीसीएस अधिकारी पर जानलेवा हमला किया गया था। अधिकारी का कसूर सिर्फ इतना था कि उसने विभाग में हुए एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश किया था, जिसमें उच्च अधिकारी भी शामिल थे। हमलावरों ने पीसीएस अधिकारी को कई राउंड गोली मारी थी। इस हमले में बमुश्किल से उनकी जान बची थी। अब वही पीसीएस अधिकारी आईएएस बनकर फिर से उसी जिले में पोस्टिंग पाने को तैयार है। यह अधिकारी कोई और नहीं, रिंकू सिंह राही हैं।
रिंकू सिंह राही पर 2009 में किया गया जानलेवा हमला
दरअसल, 2009 में रिंकू सिंह राही पर जानलेवा हमला किया गया था। इस हमले में उनकी दाहिनी आंख चली गई थी। इस हमले से वे डरे नहीं और UPSC की परीक्षा की। उस समय उनकी उम्र 40 साल थी। उन्हें दिव्यांग होने की वजह से परीक्षा में बैठने की अनुमति दी गई।
राही ने 2022 में पास की UPSC की परीक्षा
अलीगढ़ के रहने वाले राही ने 2022 में 683वीं रैंक के साथ संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा पास की। वे इस समय लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में ट्रेनिंग ले रहे हैं। उनकी अप्रैल में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के रूप में मुजफ्फरनगर में तैनाती होने जा रही है।
‘हमले में अपना सब कुछ खो दिया’
टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत करते हुए राही ने बताया कि उन्होंने 2008 के आखिर में मुजफ्फरनगर में जिला समाज कल्याण अधिकारी के रूप में अपना करियर शुरू किया था, लेकिन 4 महीने बाद ही 2009 में उन पर जानलेवा हमला किया गया। इस हमले में उन्होंने फिर से लड़ने की इच्छा को छोड़कर अपना सब कुछ खो दिया। अब 15 साल बाद उन्हें फिर से ज्वाइंट मजिस्ट्रेट बनाकर मुजफ्फरनगर भेजा जा रहा है, जिससे वे बहुत खुश हैं।
समाज कल्याण विभाग में 100 करोड़ का हुआ घोटाला
अपने ऊपर हुए हमले का जिक्र करते हुए आईएएस अधिकारी ने कहा कि मैंने देखा कि विभाग के खाते से बड़ी रकम गलत तरीके से ट्रांसफर की गई थी। जब मैंने इसकी गहराई से जांच करना शुरू किया तो कुछ लोगों ने मुझे जांच को बंद करने के लिए कहा। मुझे भारी रिश्वत की पेशकश भी की गई, लेकिन जब मैंने इनकार कर दिया तो मुझे चेतावनी दी गई, लेकिन मैं डरा नहीं। मैंने जांच जारी रखी। बाद में, मुझे पता चला कि 100 करोड़ रुपये से अधिक का घोटाला किया गया है। विभिन्न योजनाओं के लिए आवंटित सरकार के पैसे की चोरी की जा रही है।