1995 Iceland Village Sudavik Avalanche: आज से 19 साल पहले समुद्र और पहाड़ ने मिलकर एक गांव में तबाही का वो मंजर दिखाया था कि बचाव दल के सदस्यों की भी रूह कांप गई थी।
1995 Avalanche Disaster Anniversary: समुद्र में ऊंची-ऊंची लहरें उठीं। इतनी जोरदार कंपन हुआ कि पहाड़ तक हिल गए और फिर जो धरती और आसमान से जो भूचाल आया, वह अपने साथ पूरे गांव को बहाकर ले गया। ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों की गोद में बसे गांव में 25 घर थे, जिनमें से 15 घर पूरी तरह तबाह हो गए।
इन घरों में रहने वाले करीब 26 लोग बह गए, जिनमें से 14 लोग मारे गए। बाकी किसी तरह बचाव करने में कामयाब रहे। 14 साल की नाबालिग लड़की और 10 साल के बच्चे को बचाव दल के सदस्यों ने तलाश लिया। 19 साल पहले आइसलैंड में समुद्र किनारे बसे गांव सुदाविक ने मौत और तबाही का जो मंजर देखा, उसने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया।
समुद्र-पहाड़ ने मिलकर तबाही का मंजर दिखाया
16 जनवरी 1995 की सुबह करीब साढ़े 6 बजे लोग नींद के आगोश में थे कि अचानक झटके लगे। ऊपर से पहाड़ दरका, नीचे से समुद्र की लहरें-तूफान आईं, 400 मीटर चौड़ा भूस्खलन हुआ और पूरा गांव उसमें समा गया। हादसे के बाद 4 मिनट के अंदर पड़ोसी शहर की पुलिस को इमरजेंसी कॉल आई, जिसने तुरंत खोजी और बचाव दल भेजा।
4 लोगों को तुरंत बचा लिया गया। अगले कुछ घंटों में 11 लोग और तलाश लिए गए। बेहद खराब मौसम के कारण गांव से शहर तक की सड़क ब्लॉक हो गई तो भूस्खलन पीड़ितों को नावों के जरिए शहर तक पहुंचाया गया।
15 घंटे बाद मलबे से जिंदा निकाले गए 2 बच्चे
शाम करीब साढ़े 7 बजे (भारतीय समयानुसार) 19:30 पर 100 मीटर चौड़ा दूसरा हिमस्खलन हुआ, जिसमें पावर स्टेशन समेत कई खाली घरों को नुकसान पहुंचाया। शहरभर में बिजली ठप हो गई। करीब सवा 8 बजे आई समुद्री लहर पुल को बहा ले गई। बचाव दल के जहाज के नेविगेशनल इंस्ट्रूमेंट्स को तबाह कर दिया।
परिणामस्वरूप बचाव दल को अपना मिशन छोड़कर पनाह लेनी पड़ी। हालात ठीक होने पर बचाव अभियान फिर शुरू हुआ तो 15 घंटे बाद मलबे से 14 साल की लड़की और 10 साल के बच्चे को जिंदा निकाल लिया गया, लेकिन 16 जनवरी का दिन इतिहास में त्रासदी बनकर दर्ज हो गया।