ERS-2 Satellite debris will fall to earth: करीब 1800 किलो की इस सेटेलाइट को 1995 में यूरोपीय स्पेस एजेंसी ने लॉन्च किया था। इसकी तकनीक इतनी ज्यादा आधुनिक थी कि इसे स्पेस साइंस की दुनिया में काफी ज्यादा सराहा गया था। हालांकि इसके बाद यह तकनीक तमाम एजेंसियों ने अपनाई और अपनी सेटेलाइट्स को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में स्थापित किया।
Space News in Hindi: धरती पर अब ब्रह्मांड से अब एक और आफत आती दिख रही है। आने वाले कुछ घंटों में स्पेस से एक विशालकाय सेटेलाइट आग का गोला बनते हुए धरती की ओर तेजी से बढ़ रही है। वैज्ञानिकों को यह भी आशंका है कि इसका मलबा किसी भी वक्त किसी भी देश में शहरों पर गिर सकता है। इस सेटेलाइट को जब लॉन्च किया गया था, तो इसकी आधुनिक तकनीक के चलते इसे ‘सेटेलाइट का बाप’ कहा गया था। अब 2011 से यह लगातार गिरते हुए धरती की ओर बढ़ रहा है और आज वैज्ञानिकों का डर सच साबित हो सकता है। आशंका इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि यह अपना कंट्रोल खो चुका है और कहीं भी गिर सकता है।
धरती पर होने वाली गतिविधियों की निगरानी करने के लिए इस सेटेलाइट को लॉन्च किया था। हालांकि इसके बाद यह सेटेलाइट बहुत ही आम हो गई थी। यूरोपीय स्पेस एजेंसी (Eurpean Space Agency) का हालांकि कहना है कि इस दो टन वजनी सेटेलाइट का अधिकतर हिस्सा धरती के रास्ते में ही जलकर खाक हो जाएगा, लेकिन आशंका है कि इसका कुछ हिस्सा धरती पर आते-आते बच जाए और शहरों के ऊपर गिर जाए।
दुनिया में कहीं भी गिर सकता है मलबा
वैज्ञानिकों का कहना है कि इस सेटेलाइट का मलबा दुनिया में कहीं भी गिर सकता है। हालांकि राहत की बात यह है कि नुकसान की संभावना काफी कम दिख रही है। मगर माना जा रहा है कि इसका अधिकतर मलब समुद्र में समा जाए। राहत की बात यह है कि इस मलबे से टॉक्सिंस के निकलने की संभावना काफी कम है। 1990 की शुरुआत में यूरोपीय एजेंसी ने दो एक जैसी अर्थ रिमोट सेंसिंग (ERS) सेटेलाइट लॉन्च की थी। उस समय यह सेटेलाइट बहुत ही काम की थी, जसिमें ऐसे उपकरण लगे थे, जो धरती, समुद्र और हवा में होने वाले बदलावों पर नजर रख सकते थे। ये सेटेलाइट्स बाढ़, समुद्र के बढ़ते तापमान, भूकंप की संभावना और धरती की बर्फ पर नजर रखती थीं। शुरुआत में इसे धरती से 780 किलोमीटर ऊपर स्थित किया था, लेकिन बाद में इसमें बचे ईंधन की वजह से इसका एल्टीट्यूड कम कर दिया गया। बीते 15 साल से यह लगातार धरती की ओर बढ़ रही थी।
कहां गिर सकता है मलबा
अभी सटीक तरह से यह नहीं कहा जा सकता कि इस सेटेलाइट का मलबा कब और कहां गिरेगा। यह काफी हद तक वातावरण और सोलर एक्टिविटी पर निर्भर करेगा। लेकिन माना जा रहा है कि यह सेटेलाइट 82 डिग्री नॉर्थ और साउथ के बीच गिरेगा। स्पेस एजेंसी ने अनुमान लगाया है कि मेटल के पार्ट, प्रेशर टैंक जैसे हिस्से धरती पर गिर सकते हैं। जिस पार्ट की धरती पर गिरने की सबसे ज्यादा संभावना है, वो है इस सेटेलाइट का एंटीना। इसका निर्माण ब्रिटेन में हुआ था। कार्बन-फाइबर से बना यह एंटीना हाई टेम्परेचर झेल सकता है। जिस समय इस सेटेलाइट को लॉन्च किया गया था, उस समय स्पेच कचरे को लेकर गाइडलाइंस बहुत सख्त नहीं थी। लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब सेटेलाइट की लाइफ 100 साल तक रहती है।