अपनी विवादास्पद फिल्म “द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल” में मुसलमानो के आखिरी नबी मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की किया तौहीन ! मुस्लिम संगठनों का गुस्सा सातवें आसमान पर दिल्ली में फिल्म के पोस्टर को किया आग के हवाले, 30 अगस्त को फिल्म रिलीज होने से पहले मुल्क भर में जमकर हंगामा !
नई दिल्ली: (संवाददाता) दुनिया भर में बदनामी का डंका बजाने के बाद इन दिनों जितेंद्र नारायण सिंह (वसीम रिजवी) ने एक विवादास्पद फिल्म “द डायरी ऑफ़ वेस्ट बंगाल” बना डाली है जिसको लेकर मुल्क भर में हंगामा शुरू हो गया है फिल्म 30 अगस्त को रिलीज होने जा रही है लेकिन फिल्म के रिलीज होने से पहले ही हंगामा शुरू हो गया है फिल्म को लेकर मुस्लिम संगठनों का गुस्सा सातवें आसमान पर है दिल्ली के ओखला विस्तार में मुस्लिम संगठनों ने फिल्म के पोस्टर को आग के हवाले कर दिया है इस विवादास्पद फिल्म से मुल्क भर के मुसलमान में आक्रोश देखा जा रहा है सामाजिक संगठनों का कहना है कि फिल्म में मुसलमान के आखिरी नबी मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की शान में गुस्ताखी की गई है।
विदित रहे कि गत रविवार को जगदगुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने इस विवादास्पद फिल्म का ट्रेलर तुलसी पीठ में लॉन्च किया फिल्म बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल के हालात की पृष्ठभूमि पर आधारित है फिल्म में रोहिंग्या शरणार्थियों की भयावह दुर्दशा बांग्लादेश से घुसपैठ और लव जिहाद जैसे विवादास्पद विषयों का चित्रण किया गया है जगदगुरु ने कहा कि यह फिल्म भारत माता के सामने आने वाले खतरों का चित्रण करती है वहीं इस फिल्म के निर्माता जितेंद्र नारायण सिंह (वसीम रिजवी) ने कहा कि यह फिल्म सिर्फ एक फिल्म मात्र नहीं है यह उन कठोर सच्चाइयों का आईना है जिसे प्रायः जानबूझकर नजरअंदाज किया जाता रहा है फिल्म 30 अगस्त को दुनिया भर में रिलीज होने जा रही है फिल्म को लेकर मुस्लिम संगठनों का गुस्सा अभी से सातवें आसमान पर देखा जा रहा है गत दिनों दिल्ली के ओखला विस्तार में कुछ जगहों पर फिल्म के पोस्ट को आग के हवाले कर दिया गया है दिल्ली के एक संगठन से जुड़े मौलाना हसन अली ने कहा कि इस फिल्म में मुसलमानों के आखिरी नबी मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की शान में तौहीन की गई है यह फिल्म प्रोपेगेंडा का एक हिस्सा हैलिहाजा हम चाहते हैं कि यह फिल्म रिलीज ना हो या फिर फिल्म से उन विवादास्पद दृश्य को हटा दिया जाए जिसमें हमारे नबी मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के नाम की तोहीन की गई है यहाँ मुस्लिम संगठनों से जुड़े लोग दिल्ली के जंतर मंतर पर फिल्म के निर्माता जितेंद्र नारायण सिंह (वसीम रिजवी) का पुतला दहन करने पर आमादा थे लेकिन पुलिस ने ऐसा करने से रोक दिया। बॉम्बे हाई कोर्ट से जुड़े सीनियर एडवोकेट शहूद अनवर नकवी ने कहा कि यह फिल्म भी पहले की तरह ही पूरी तरह से प्रोपेगेंडा पर आधारित है इस नए दौर की राजनीति में सिनेमा जगत बहुत महत्वपूर्ण हो गया है आए दिन विभिन्न प्रकार की फाइल्स के माध्यम से एक विशेष पार्टी के लिए वोटो का ध्रुवीकरण किया जा रहा है यह फिल्म भी उसी क्रम का एक हिस्सा है मेरा मानना है सामाजिक संगठनों को फ़िल्म के जिन दृश्यों से आपत्ति है सेंसर बोर्ड को उन्हें हटाना चाहिए उन्होंने कहा कि इस तरह के मामलों में पुलिस को स्वतः संज्ञान लेकर वैधानिक कार्रवाई करनी चाहिए भारतीय न्याय संहिता की धारा 153 ए और 295 ए का प्रयोग करके समाज में आपसी सौहार्द और सामाजिक संरचना को बहाल करने की जिम्मेदारी पुलिस पर होती है उन्हेंने कहा कि अभी कुछ दिनों पहले फिल्म “हम दो हमारे दो” का मामला बॉम्बे हाई कोर्ट में आया था और अंततः हाई कोर्ट के दखल के बाद सेंसर बोर्ड को उन आपत्तिजनक दृश्यों को हटाना भी पड़ा जिनको लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे थे।