Who Is Prabowo Subianto: 72 साल के पूर्व सेना जनरल सुबियांतो की मंशा है कि इंडोनेशिया अपने 1945 के मूल संविधान पर वापस लौटे। उनके चुनाव जीतने की संभावना ज्यादा है।
Who Is Prabowo Subianto : इंडोनेशिया में राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान हो चुका है और परिणाम का इंतजार किया जा रहा है। इस दौड़ में सबसे आगे यहां की सेना के पूर्व जनरल प्रबोवो सुबियांतो (Prabowo Subianto) चल रहे हैं। सुबियांतो का अतीत काफी काला रहा है और उन पर कई आरोप भी लगे हैं। इस रिपोर्ट में जानिए प्रबोवो सुबियांतो कौन हैं।
राजनीति में सक्रिय रहा परिवार
प्रबोवो सुबियांतो के दादा इंडोनेशिया के पहले स्टेट बैंक के संस्थापक थे और देश की आजादी के आंदोलन में उन्होंने अहम बूमिका निभाई थी। सुबियांतो के पिता एक दिग्गज अर्थशास्त्री थे जिन्होंने वित्त मंत्री, कारोबार मंत्री और रिसर्च मंत्री जैसी अहम जिम्मेदारियां संभाली थीं। वहीं, उनके भाई एक अमीर कारोबारी हैं। वहीं, सुबियांतो खुद भी काफी महत्वाकांक्षी हैं।
पूर्व राष्ट्रपति की बेटी से शादी
सेना में अधिकतर स्पेशल फोर्सेज में सेवा देने वाले सैन्य अधिकारी सुबियांतो की शादी पूर्व राष्ट्रपति सुहार्तो की बेटी के साथ हुई थी। इससे उनके करियर को रफ्तार मिली। वह लेफ्टिनेंट जनरल बने और आखिरकार राजधानी जकार्ता में आर्मी स्ट्रेटेजिक रिजर्व में कमांडर का पद भी संभाला। जब सुहार्तो की सरकार संकट में आई तो सुबियांतो ने उनकी मदद भी की थी।
कई खुफिया अभियान चलाए
साल 1997 के वित्तीय संकट के दौरान सुहार्तो की सरकार चुनौतियों का सामना कर रही थी। तब सुबियांतो, सुहार्तो के सेना समर्थित और दमनकारी नई व्यवस्था की रक्षा के लिए उनके आलोचकों के खिलाफ खुफिया अभियानों में शामिल हुए थे। इस दौरान उनके खिलाफ कई गंभीर आरोप भी लगे लेकिन सुबियांतो इनकी जिम्मेदारी लेने से इनकार करते रहे हैं।
छात्रों के अपहरण का आरोप
सुबियांतो के नेतृत्व में स्पेशल फोर्सेज रोज ब्रिगेट पर आरोप लगा था कि उन्होंने 20 से अधिक छात्र प्रदर्शनकारियों का अपहरण किया था। उल्लेखनीय है कि इनमें से 13 का अभी तक कोई पता नहीं चल पाया है। माना जा रहा है कि उन सभी की मौत हो चुकी है। सुबियांतो ने उनके अपहरण की बात स्वीकार की थी लेकिन किसी हत्या में शामिल होने से मना किया था।
नहीं मिला अमेरिका का वीजा
उन्हें कभी ट्रायल का सामना नहीं करना पड़ा। लेकिन उनके कई सहयोगियों पर मुकदमा चला और दोषी भी ठहराया गया। इन आरोपों के चलते उन्हें कई साल तक अमेरिका का वीजा नहीं मिला था। सुबियांतो ने अपने नेतृत्व में स्पेशल फोर्सेज की ओर से पूर्वी तिमोर और पापुआ में टॉर्चर और हत्याओं समेत किए गए अत्याचारों के आरोप भी सिरे से खारिज किए हैं।
दो बार लड़ चुके हैं इलेक्शन
मानवाधिकारों के उल्लघन के आरोप में उन्हें सेना से निकाल दिया गया था। सुबियांतो इससे पहले भी दो बार राष्ट्रपति चुनाव में अपनी किस्मत आजमा चुके हैं लेकिन दोनों बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन, इस बार माना जा रहा है कि उनका जीतना तय है। चुनाव के अंतिम परिणाम अभी घोषित नहीं हुए हैं लेकिन सुबियांतो अपनी जीत का दावा कर चुके हैं।